शाहरुख़ खान जब ९० के दशक में फिल्मों में आये
तो जल्दी ही नई पीढ़ी के प्रतिनिधि बन गये। चाँद तारे
तोड़ लाने वाली बात तो सदियों पुरानी है मगर गीत
में कुछ और भी है। जो भी चाहूं वो मैं पाऊँ -के ज़रिये
शायद वे अपने आने वाले सुनहरे भविष्य की तरफ
इशारा कर रहे हैं। गीत लगता है मानो उनके लिए ही
बनाया गया हो। उन्होंने सफलता का एक नया
इतिहास जो रचा बाद में।
किसी सार्वजनिक जगह पर बैठ के प्यानो बजाने का काम
केवल फिल्मों में ही संभव है। गीत कर्णप्रिय है और इसे गा
रहे हैं अभिजीत जिन्होंने किशोर कुमार के गीतों के कवर
वर्जन गा गा कर अपने कैरियर की शुरुआत की थी।
गीत के बोल:
जो भी चाहूं वो मैं पाऊँ
ज़िन्दगी में जीत जाऊं
चाँद तारे तोड़ लाऊँ
सारी दुनिया पर मैं छाऊँ
बस इतना सा ख्वाब है
बस इतना सा ख्वाब है
चाँद तारे तोड़ लाऊँ
सारी दुनिया पर मैं छाऊँ
बस इतना सा ख्वाब है
बस इतना सा ख्वाब है
यार तू भी सुन ज़रा
आरजू मेरी है क्या
मैं क्या बन जाना चाहता हूँ
मैं कहाँ ख़राब हूँ
मैं तो लाजवाब हूँ
मैं ये मनवाना चाहता हूँ
मान जा ऐ खुदा
इतनी सी है दुआ
मैं बन जाऊं सबसे बड़ा
मैं बन जाऊं सबसे बड़ा
मेरे पीछे, मेरे आगे
हाथ जोड़े दुनिया भागे
बस इतना सा ख्वाब है
बस इतना सा ख्वाब है
शान से रहूँ सदा
मुझपे लोग हों फ़िदा
हसीनाएं भी दिल हों खोती
दिल का ये कमल खिले
सोने का महल मिले
बरसने लगे हीरे मोती
मान जा ऐ खुदा
इतनी सी है दुआ
मैं ज्यादा नहीं मांगता
मैं ज्यादा नहीं मांगता
सारी दौलत सारी ताकत
सारी दुनिया पर हुकूमत
बस इतना सा ख्वाब है
बस इतना सा ख्वाब है
बस इतना सा ख्वाब है
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Chand taare tod laoon-Yes Boss 1997
Tuesday, 14 June 2011
चाँद तारे तोड़ लाऊँ-यस बॉस १९९७
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