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Saturday, 1 January 2011

ये आवारा रातें-गैर फ़िल्मी गीत

"कहाँ आ गए हम कहाँ जा रहे थे"। ये प्रश्न अंतर्मन अक्सर करता है
मानव से। नए दौर में प्रवेश करते समय तो ये प्रासंगिक सा हो जाता है।

मन्ना डे की आवाज़ में आइये दोहराएँ उस सुनहरे दौर की सुनहरी यादें।
वी बलसारा की तैयार की हुई धुन है और इस गीत को शायद आपने एक
आध बार अवश्य सुना होगा। ये मन्ना डे का गाया बेहद लोकप्रिय गैर
फ़िल्मी गीत है।



गीत के बोल :

ये आवारा रातें
ये खोयी सी बातें
ये उलझा सा मौसम
ये मौसम की घातें

कहाँ आ गए हम
कहाँ जा रहे थे

कहाँ आ गए हम
कहाँ जा रहे थे

ये नागिन से बलखाये
बाँहों के साये
ये छिटके से तारे
जो पलकों पे छाये

कहाँ आ गए हम
कहाँ जा रहे थे

ये आवारा रातें
ये खोयी सी बातें
ये उलझा सा मौसम
ये मौसम की घातें

कहाँ आ गए हम
कहाँ जा रहे थे

ये सोयी सी गलियां
ये खुम्ह्लाई कलियाँ
ये आँखों के भँवरे
करे रंगरलियाँ

कहाँ आ गए हम
कहाँ जा रहे थे

ये आवारा रातें
ये खोयी सी बातें
ये उलझा सा मौसम
ये मौसम की घातें

कहाँ आ गए हम
कहाँ जा रहे थे

ये बिखरी हवाएं
क्यूँ टूटी सी आहें
बुलायें सभी को
नज़रों की बाहें

कहाँ आ गए हम
कहाँ जा रहे थे

कहाँ आ गए हम
कहाँ जा रहे थे

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