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Monday, 17 January 2011

पीपरा के पतवा-गोदान १९६३

आपको एक फ़िल्मी भोजपुरी गीत से रूबरू करवाते हैं।
शैलेन्द्र के लिखे बोलों की तर्ज़ बनाई है सितार वादक पंडित
रविशंकर ने। फिल्म गोदान के लिए इसे गा रहे हैं रफ़ी।
मस्त गीत है ये और इसको बहुत दिन बाद आज सुना है।



गीत के बोल:

पीपरा के पतवा सरीखे डोले मनवा
के हियरा में उठत हिलोर
अरे पुरवा के झोंकवा में आयो रे संदेसवा
के चल आज देसवा कि ओर

पीपरा के पतवा सरीखे डोले मनवा
के हियरा में उठत हिलोर
अरे पुरवा के झोंकवा में आयो रे संदेसवा
के चल आज देसवा कि ओर

पीपरा के पतवा सरीखे डोले मनवा
के हियरा में उठत हिलोर
अरे पुरवा के झोंकवा में आयो रे संदेसवा
के चल आज देसवा की ओर

झुकी झुकी बोले कारे कारे ये बदरवा
झुकी झुकी बोले कारे कारे ये बदरवा
कबसे पुकारे तोहे नैनों का कजरवा
उमड़ घुमड़ जब गरजे बदरिया रे
ठुमुक ठुमुक नाचे मोर

पुरवा के झोंकवा में आयो रे संदेसवा
के चल आज देसवा की ओर

सिमिट सिमिट बोले लम्बी ये डगरिया
सिमिट सिमिट बोले लम्बी ये डगरिया
जल्दी जल्दी चल राही अपनी नगरिया
रहिया ताकत फिर हिनिया दुल्हनिया
रे बांध के लगनिया की डोर

पुरवा के झोंकवा में आयो रे संदेसवा
के चल आज देसवा की ओर

पीपरा के पतवा सरीखे डोले मनवा
के हियरा में उठत हिलोर
पुरवा के झोंकवा में आयो रे संदेसवा
के चल आज देसवा की ओर
.................................
Pipra ke patwa-Godaan 1963

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