काले पीले दौर की तरफ चला जाए फिर से, सन १९५३ में,
और सुनिए फिल्म आगोश से एक गीत जो कैफ इरफानी
का लिखा और रोशन का संगीतबद्ध किया हुआ है। इसे गा
रही हैं लता मंगेशकर। परदे पर होंठ हिलाने का श्रेय मिला
है नूतन को।
कभी कभी विचार आता है की गीत के साथ चिपकाये गए
विवरण में १३ का या १९ का पहाडा छाप दिया करूं। विवरण
कितने लोग पढ़ते हैं ये समझना काफी आड़ी टेड़ी खीर है।
गीत के बोल
मुहब्बत एक शोला है,
बचा दामन ज़माने
बचा दामन ज़माने
हुए हम ख़ाक यूं जलकर
जले कोई तो जाने
बचा दामन ज़माने
नहीं मालूम क्या मंज़ूर है
तकदीर को मेरी
तकदीर को मेरी
नहीं मालूम क्या मंज़ूर है
तकदीर को मेरी
तकदीर को मेरी
कटे हैं आज तक रोते
मेरे सावन सुहाने
बचा दामन ज़माने
बहे आंसू हंसी किस्मत
लूटे अरमान भी मेरे
अरमान भी मेरे
बहे आंसू हंसी किस्मत
लूटे अरमान भी मेरे
अरमान भी मेरे
रहे फरियाद ही बन कर मेरे रंगीन तराने
बचा दामन ज़माने
किसी से दिल लगा के हम यहाँ बर्बाद हो गए
बर्बाद हो गए
किसी से दिल लगा के हम बर्बाद हो गए
बर्बाद हो गए
ये जलता सा जिगर अपना,
ये जलते से फ़साने
बचा दामन ज़माने
Wednesday, 1 December 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)



No comments:
Post a Comment