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Sunday, 5 December 2010

बांसुरिया काहे बजाई-आगोश १९५३

लता मंगेशकर की आवाज़ में एक गीत और सुना
जाए फिल्म आगोश से। इस गीत को लिखा है गीतकार
शैलेन्द्र ने और धुन बनाई है रोशन ने। ऐसा लगता है
फिल्म आगोश के लिए संगीतकार रोशन ने कई गीतकारों
की सेवाएँ लीं। पिछला लता का गया गीत कैफ इरफानी
का लिखा हुआ था। इस गीत में लता का बखूबी साथ
दिया है एक और गायिका-सुधा मल्होत्रा ने। बच्चों पर
फिल्माया गया ये गीत मधुर है। इसको शायद ही कभी
आपने सुना होगा पहले । कान्हा के लिए सुधा मल्होत्रा
की आवाज़ और राधा के लिए लता की आवाज़ इस्तेमाल
की गई है। ये जो 'ढिक्का चिका-ढिक्का चिका' ताल इस्तेमाल
की गई है वो आपको राजेश रोशन के कई गीतों में संशोधित
रूप में मिलेगी।

बहुत ही सॉफ्ट किस्म का युगल गीत है ये और जबसे इसे देखा
है मैं इसका फैन बन गया हूँ। पहले कुछ एक बार इसे सुना भर
था।



गीत के बोल:


लता- बाँसुरिया काहे बजाई बिन सुने रहा नहीं जाये रे
सुधा- मीठी नज़र काहे मिलाई बिन देखे रहा नहीं जाये रे
लता- बाँसुरिया काहे बजाई बिन सुने रहा नहीं जाये रे

लता- जाने अनजाने जब मुख पे किसी के आये
तेरा नाम, तेरा नाम
जाने अनजाने
सर से सरक जाये चुनरी सहेली करे बदनाम, बदनाम
होवे रे हमरी जगत हँसाई रे कान्हा
बाँसुरिया काहे बजाई बिन सुने रहा नहीं जाये रे

सुधा- मीठी नज़र काहे मिलाई बिन देखे रहा नहीं जाये रे

सुधा-हँस हँस जादू कर जावें दो नैन तेरे, नैन तेरे
ये दो नैन तेरे
तुम जित जावो उत जावें दो नैन मेरे, नैन मेरे
ये दो नैन मेरे
हो गई हमरी निंदिया पराई हो राधा
मीठी नज़र काहे मिलाई बिन देखे रहा नहीं जाये रे

लता- बाँसुरिय काहे बजाई बिन सुने रहा नहीं जाये रे

छोड़ो छोड़ो हमरी बैन बिहारी हमें छेड़ो ना, छेड़ो ना
सुधा-बतियाँ बना के
बतियाँ बना के हमें अपना बना के मुख फेरो ना, फेरो ना

लता- प्रेम डगरिया बड़ी दुखदाई रे
कान्हा बाँसुरिया काहे बजाई बिन सुने रहा नहीं जाये रे

सुधा-मीठी नज़र काहे मिलाई बिन देखे रहा नहीं जाये रे

लता- बिन सुने रहा नहीं जाये रे

सुधा-ओ बिन देखे रहा नहीं जाये रे

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