शिव हरि का नाम लिया है तो उनका एक और मधुर गीत
सुन लिया जाए । शिव कुमार शर्मा और हरिप्रसाद चौरसिया
दो दिग्गज हस्तियाँ हैं शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में। उनके
फ़िल्मी गीतों में भी फिनिशिंग ज़बरदस्त मिलेगी आपको।
संजय दत्त, ऋषि कपूर और माधुरी अभिनीत फिल्म साहिबां
सन १९९३ में आई थी। आखिर ऋषि कपूर को भी माधुरी के
साथ काम करने का मौका मिल ही गया। उन्होंने ३-४ फिल्मों
में साथ काम किया है । ९० के दशक का पूर्वार्ध धक्-धक्
गर्ल के नाम है, हर दूसरी फिल्म में वे ही नज़र आतीं। उन्होंने
सन १९८७ से सन १९९७ तक सिल्वर स्क्रीन पर राज़ किया।
तो सुनिए आनंद बक्षी का लिखा, अनुराधा पौडवाल और
जोली मुखर्जी का गाया गीत । माधुरी की ज़रा ज़रा देर
में मुस्कुराने की आदत गुज़रे ज़माने की अभिनेत्री श्यामा
की याद दिलाती है। गौर फरमाएं-ये पंक्तियाँ- डूब मरूंगी
मैं -इसे मुस्कुरा के गाते आपने किसी अभिनेत्री को नहीं
देखा होगा कभी।
गीत के बोल:
कैसे जिऊंगा मैं, हो
कैसे जिऊंगा मैं अगर तू न बनी मेरी साहिबां
मेरी साहिबां, मेरी साहिबां, हो
डूब मरूंगी मैं अगर मैं न बनी हो तेरी साहिबां
तेरी साहिबां, तेरी साहिबां, हो
लाखों हज़ारों में सैयां मैने चुन लिया
हो ओ ओ, लाखों हज़ारों में सैयां मैने चुन लिया
लाखों हज़ारों ने फ़ैसला ये सुन लिया
हो, एक दूजे के वास्ते हम बने मेरे साजना
मेरी साहिबां,
तेरी साहिबां, हो
कहती है क्या मुझसे पायल तेरे पांव की
हो ओ ओ, कहती है क्या मुझसे पायल तेरे पांव की
एक सीधी सादी सी लड़की मैं गांव की
तेरे होंठों की बांसुरी बन गई मेरे साजना
मेरी साहिबां,
तेरी साहिबां, हो
जो अंतरा विडियो गीत से गायब है वो यूँ है
रातें गुज़रती हैं सारी रात जाग के
दिल चाहे आ जाऊं घर से मैं भाग के
ओ आना मगर डोली में बैठ कर मेरी साहिबां
मेरी साहिबां,
तेरी साहिबां
तेरी साहिबां
Monday, 6 December 2010
कैसे जियूँगा मैं-साहिबां १९९३
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