मंगेशकर बहनों ने साथ में कई गीत गाये हैं। लता ने आशा के
और उषा के साथ कई गीत गाये हैं। आशा ने भी उषा के साथ
कुछ गीत गाये। लता और आशा के गाये युगल गीतों में से जो
सबसे ज्यादा बजा वो आज प्रस्तुत है-फिल्म उत्सव से-मन क्यूँ
बहका रे। संस्कृत नाट्य-मृच्छकटिकम(मिटटी की गाडी) पर
आधारित गिरीश कर्नाड निर्देशित और शशि कपूर रेखा
अभिनीत इस फिल्म का संगीत खूब सुना गया। फिल्म ने
भी ठीक व्यवसाय किया। उस समय का प्रभाव दिखाने के
लिए गीत भी वैसे ही चाहिए थे। सो, देसी वाद्य यंत्रों के जमावड़े
के साथ लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने संगीत तैयार किया। चुनौतीपूर्ण
कार्य था जिसमे वे सफल भी रहे। फिल्म का संगीत हिट होने के
बाद लाख्स्मिकांत प्यारेलाल ने दावे के साथ कहा कि फिल्म उत्सव
में केवल वही संगीत दे सकते थे। अनुराधा पटेल और रेखा पर
फिल्माया गया ये गीत लिखा है शारंग देव ने । चार-पांच किलो
सोने के आभूषणों से लदी फंदी रेखा का सौन्दर्य और अभिनय
अपने सर्वोत्तम शिखर पर हैं इस फिल्म में। एक बात और कहूँगा
राजेश खन्ना की भांति रेखा भी वो कलाकार हैं जिन पर फिल्माए
गए गीत जीवंत हो उठते हैं।
गीत के बोल:
मन क्यूँ बहका री बहका
मन क्यूँ बहका री बहका आधी रात को
बेला महका हो
बेला महका री महका आधी रात को
हो मन क्यूँ बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
किसने बंसी बजायी आधी रात को
हो किसने बंसी बजायी आधी रात को
जिसने पलकें हो
जिसने पलकें चुराई आधी रात को
हो मन क्यों बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
झांझर झमके सुन झमके
हो झांझर झमके सुन झमके
झांझर झमके सुन झमके
आधी रात को ओ ओ ओ
उसको टोको ना रोको, रोको ना टोको,
टोको ना रोको आधी रात को
हो लाज लगे री लागे आधी रात को
लाज लगे री लागे आधी रात को
देना सिन्दूर को सौंप आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
हो मन क्यों बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
बात कहते बने क्या आधी रात को
आँख खोलेगी बात आधी रात को
बात कहते बने क्या आधी रात को
आँख खोलेगी बात आधी रात को
हमने पी चांदनी आधी रात को
हो हो हमने पी चांदनी आधी रात को
चाँद आँखों में आया आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
हो मन क्यों बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
रात गुनती रहेगी आधी बात को
आधी बातों की पीर आधी रात को
रात गुनती रहेगी आधी बात को
आधी बातों की पीर आधी रात को
बात पूरी है कैसे आधी रात को
रात होती हो
रात होती शुरू है आधी रात को
मन क्यों बहका री बहका आधी रात को
बेला महका री महका आधी रात को
हो मन क्यों बहका री बहका
बेला महका री महका
मन क्यूँ बहका
बेला महका
मन क्यूँ बहका
बेला महका
Tuesday, 30 November 2010
मन क्यूँ बहका रे-उत्सव १९८४
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