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Sunday, 17 July 2011

हम कश्मकश-ए-ग़म से गुज़र-फ्री लव १९७४

आपको एक हिट गीत सुनवाया था महेंद्र कपूर की आवाज़ में फिल्म
फ्री लव से. अब सुनिए लता मंगेशकर की आवाज़ में एक कम सुना
गया गीत. योगिता बाली के ऊपर इसे फिल्माया गया है. ज्यादा दारू
पीने के बाद जो ऐंठन होती है उसका बखूबी प्रस्तुतीकरण किया है
नायिका ने. पुरुष कलाकारों की भीड़ में मैं केवल चश्मा पहने हुए
जानकीदास को पहचान पा रहा हूँ. बाकियों को आप पहचानिये और
मेरा भी ज्ञान वर्धन कीजिये.




गीत के बोल:

हम कश्मकश-ए-ग़म से गुज़र क्यों नहीं जाते
मरना तो बहरहाल है मर क्यों नहीं जाते
हम कश्मकश-ए-ग़म से गुज़र क्यों नहीं जाते
मरना तो बहरहाल है मर क्यों नहीं जाते

हम कश्मकश-ए-ग़म से गुज़र क्यों नहीं जाते

ये वक़्त के हाथों में चमकते हुए ख़ंज़र
ये वक़्त के हाथों में चमकते हुए ख़ंज़र
इक साथ कलेजे में उतर क्यों नहीं जाते

हम कश्मकश-ए-ग़म से गुज़र क्यों नहीं जाते

बहके हुए क़दमों पे ये साँसों के जनाज़े
बहके हुए क़दमों पे ये साँसों के जनाज़े
आख़िर किसी मंज़िल पे ठहर क्यों नहीं जाते

हम कश्मकश-ए-ग़म से गुज़र क्यों नहीं जाते

सोचा ही नहीं था कभी यह हाल भी होगा
सोचा ही नहीं था कभी यह हाल भी होगा
हम अपनी ही तस्वीर से डर क्यों नहीं जाते

हम कश्मकश-ए-ग़म से गुज़र क्यों नहीं जाते
मरना तो बहरहाल है मर क्यों नहीं जाते

हम कश्मकश-ए-ग़म से गुज़र क्यों नहीं जाते
हम कश्मकश-ए-ग़म से....
..........................................
Ham kashmakash-e-gham se guzar-Free Love 1974

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