संगीतकार रवि के बहुत से मधुर गीत आपको सुनवाए
ही नहीं है अभी तक। आइये सुनें एक लता मंगेशकर का
गाया गीत जो उनकी बेहतर रचनाओं में से एक है।
प्रदीप कुमार और आशा पारेख पर फिल्माए गए इस
गीत को आप देख के अंदाज़ा लगा सकते हैं कि किसका
जिया नहीं लागे हैं और क्यूँ नहीं लागे है ? आशा पारेख
घरेलु नारी के वेश में ज्यादा खूबसूरत लगती हैं। वैसे तो
ज़रूरी नहीं आप मेरे विचार से सहमत हों।
वैसे आज इच्छा हो रही थी कि आपको गुलज़ार का लिखा
गीत-"चड्डी पहन के फूल खिला है" सुनवा दें क्यूंकि सुबह
सुबह सर्दी में बहुत से यायावरीय प्राणी बाग़ और अन्य जगहों
पर लम्बी चड्डी और घुटन्ने पहने दिखाई दिए थे। अब नेट
कनेक्शन का भरोसा नहीं कब मरणासन्न हो जाए अतः इसी
पुरानी घिसी हुई पोस्ट को अपडेट करके लगा रहा हूँ।
लागे ना मोरा जिया, बरमूडा पहन आये, हाय ........
गीत भी सुने लें और गुलज़ार साहब को भी याद कर लें। मैं
तो जब जब बरमूडा पहनता हूँ उनकी याद अवश्य याद
कर लिया करता हूँ। ये गीत शकील बदायूनी का लिखा हुआ
है। पढ़ते रहिये, आगे चल के आपको शकील के लिखे और
रवि के संगीत वाले चौदहवी का चाँद' के गीत भी सुनवायेंगे।
गीत के बोल:
लागे ना मोरा जिया
सजना नहीं आये हाय
लागे ना मोरा जिया
सजना नहीं आये हाय
लागे ना मोरा जिया
देख लिए पिया तेरे इरादे
झूठे निकले जा तेरे वादे
देख लिए पिया तेरे इरादे
झूठे निकले जा तेरे वादे
तड्पत-तड्पत याद में तेरी
नैन नीर भर आये
नैन नीर भर आये, हाय
लागे ना मोरा जिया
तू ने मेरी सुध बिसर्यी
बेदर्दी तोहे लाज ना आई
तू ने मेरी सुध बिसरायी
बेदर्दी तोहे लाज ना आई
भूल गए क्यूँ ओ हरजाई
जा के देस पराये
जा के देस पराये, हाय
लागे ना मोरा जिया
सजना नहीं आये हाय
लागे ना मोरा जिया
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Laage na mora jiya-Ghoonghat 1960
Tuesday, 7 December 2010
लागे ना मोरा जिया-घूंघट १९६०
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