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Tuesday, 2 August 2011

पानी पानी रे -माचिस १९९६

गुलज़ार ने लंबे अरसे बाद हिंदी फिल्म बनाई-माचिस। अलग हट के किस्म
की फिल्म। पंजाब में पैदा हुई समस्या पर केंद्रित ये फिल्म भाग १ जैसे जल्द
ही समाप्त हो जाती है। कहानी अधूरी सी लगती है। बीच में फिल्म का कथानक
लंबा खींचा हुआ प्रतीत होता है। गुलज़ार के पुराने साथी राहुल देव बर्मन की
अनुपस्थिति में संगीत का काम विशाल भरद्वाज को सौंपा गया। उन्होंने इस काम
को ठीक ठाक अंजाम दिया। बहुमुखी प्रतिभा के विशाल भारद्वाज ने कई फ़िल्में
निर्देशित भी की हैं।

फिल्म के गीत काफी बजे थे. उनमें से एक है-पानी पानी रे। लता मंगेशकर की
आवाज़ में धीमा सा ये गीत फिल्म के कुछ बढ़िया हिस्सों में से एक है। गीत
फिल्माया गया है अभिनेत्री तब्बू पर जिन्होंने माचिस फिल्म के निर्माण के पहले
ही संवेदनशील कलाकार के रूप में अपनी पहचान बना ली थी हिंदी फिल्म जगत
में।



गीत के बोल:

पानी पानी रे खारे पानी रे
पानी पानी रे खारे पानी रे
नैनों में भर जा
नींदें खली कर जा

पानी पानी रे खारे पानी रे
पानी पानी रे खारे पानी रे
नैनों में भर जा
नींदें खाली कर जा

पानी-पानी इन पहाड़ों की ढलानों से, उतर जाना
धुआँ-धुआँ कुछ वादियाँ भी आयेंगी, गुज़र जाना
एक गाँव आयेगा मेरा घर आयेगा
जा मेरे घर जा
नींदें खाली कर जा

ये रुदाली जैसी रातें जगरातों में, बिता देना
मेरी आँखों में जो बोले मीठे पाखी तो, उड़ा लेना
बर्फ़ों में लगे मौसम पिघले
मौसम हरे कर जा
नींदें खाली कर जा

पानी पानी रे खारे पानी रे
पानी पानी रे खारे पानी रे
नैनों में भर जा
नींदें खाली कर जा
................................
Paani paani re-Maachis 1996

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