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Saturday, 9 July 2011

बरखा की रात में हे हो हा-सरदार १९५५

८० और ९० के दशक के गीतों के बाद अब वापस चलते हैं काले
और सफ़ेद के ज़माने में . इस बार आपको एक अनजान सी फिल्म
से गाना सुनवा रहे हैं.

जगमोहन के संगीत निर्देशन में गीता दत्त की आवाज़ फिल्म सरदार के
लिए. सन १९५५ की फिल्म सरदार को देखने का सौभाग्य मुझे नहीं
मिला और उम्मीद है की इस पोस्ट पढने वाले मेरे जैसे संगीत प्रेमियों
में से किसी को भी नहीं मिला होगा.

गीता दत्त के गाये कई नायब गीत अनजान सी फिल्मों के साथ ही डब्बे
में बंद रह गए. धीरे धीरे वे सब सुनाई देने लगे हैं .

कोरस वाला ये गीत खुशनुमा किस्म का गीत है और बरखा की रात का
तबियत से जिक्र किया है इसमें गीतकार उद्धव कुमार ने.

बारिश का मौसम है, इस गीत पर आप भी "हे हो हा" कर सकते हैं गर
रात में बारिश हो रही हो और आपकी भीग कर बारिश का स्वागत करने
की इच्छा हो.



गीत के बोल :


हा आ आ आ आ आ आ
हो हा हो हे हो हा
हो हा हो हे हो हा
हो हा हो हे हो हा
हो हा हो हे हो हा
हो हा हो हे हो हा

बरखा की रात में हे हो हा
बरखा की रात में हे हो हा

रस बरसे नीलगगन से
रस बरसे नीलगगन से

बरखा की रात में हे हो हा
बरखा की रात में हे हो हा

रस बरसे नीलगगन से
रस बरसे नीलगगन से

बरखा की रात में हे हो हा
बरखा की रात में हे हो हा

टप टप आये मेरा आंचल भिगोये
टप टप आये मेरे मुखड़े को धोये
टप टप आये मेरा अंचल भिगोये
टप टप आये मेरे मुखड़े को धोये
मेरा काँप काँप जाए जिया बूंदन से
रस बरसे नीलगगन से

बरखा की रात में हे हो हा
बरखा की रात में हे हो हा

कोई कहे बादल से मोती गिरे
कोई कहे रात हाय रोती फिरे
कोई कहे बादल से मोती गिरे
कोई कहे रात हाय रोती फिरे
मैं तो मांग लायी सावन को सजन से
रस बरसे नीलगगन से

बरखा की रात में हे हो हा
बरखा की रात में हे हो हा

भीगे है तन फिर भी जलता है मन
जैसे के जल में लगी हो अगन
भीगे है तन फिर भी जलता है मन
जैसे के जल में लगी हो अगन
राम सबको बचाए इस उलझन से
रस बरसे नीलगगन से

बरखा की रात में हे हो हा
बरखा की रात में हे हो हा

रस बरसे नीलगगन से
रस बरसे नीलगगन से

बरखा की रात में हे हो हा
बरखा की रात में हे हो हा

आ हा, आ आ आ आ आ आ आ
आ हा, आ आ आ आ आ आ आ आ
...................................
Barkha ki raat mein-Sardar 1955

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