आपको सन १९७० की परदेसी का एक गीत सुनवा चुके हैं।
अगला गीत सुनिए लता मंगेशकर की आवाज़ में। साहिर
के अंदाज़-ए-बयां पर तो संगीतप्रेमी काफी लिखते रहे हैं और
लिखते रहेंगे, थोड़ा मजरूह के अंदाज़-ए-बयां पर भी गौर किया
जाये जिन्होंने ज्यादा सरल और थोड़े कठिन अंदाज़ में काफी
उम्दा किस्म के अफ़साने बुने।
प्रस्तुत गीत में विद्रोही सी सुनाई पढ़ती नायिका का सरे आम
इकरार-ए-मोहब्बत है और अनूठे अंदाज़ में। कुछ चैलेंज वाले
अंदाज़ में ज़माने से वो मुखातिब है-जो बन पड़े कर ले बैरी जहां,
बीच में दीवारें खड़ी करवा दो चाहे मंगल ग्रह भेज दो, हम तो प्यार
करेंगे, बेहिसाब करेंगे और धुआंधार करेंगे।
कुछ कुछ सफ़ेद कपड़ों को उजला बनाने वाले उत्पादों के विज्ञापन
जैसे शुरू होते इस विडियो में लहराते बलखाते कलाकारों के
नाम हैं-विश्वजीत और मुमताज़। कुछ मनमोहक कुछ बोर से
नृत्य में थोड़ी खींचा-तानी थोड़ी ढिशुम-ढिशुम की मिलावट है।
गीत के बोल:
लगी ना छूटेगी प्यार में ज़ालिमा
जो बन पड़े कर ले बैरी जहाँ
लगी ना छूटेगी प्यार में ज़ालिमा
जो बन पड़े कर ले बैरी जहाँ
तू रोक जो सके रोक ले थाम के
हंस देगी मेरी पायल तेरे नाम पे
बोलियाँ प्यार की
बोलियाँ प्यार की बोलती जाऊंगी
कट दे चाहे मेरी जुबां
लगी ना छूटेगी प्यार में ज़ालिमा
जो बन पड़े कर ले बैरी जहाँ
दुनिया ने फिर उसे दुःख दिया भी तो क्या
कोई प्यार को भुला के जिया भी तो क्या
बावरा मन कहे
बावरा मन कहे, मार डालो मोहे
ना रहूंगी मैं पी के बिना
लगी ना छूटेगी प्यार में ज़ालिमा
जो बन पड़े कर ले बैरी जहाँ
अब छीन के मुझे ले चले तू कहीं
धड़कन तो मेरे दिल की मिलेगी नहीं
प्यार में खो चुकी
प्यार में खो चुकी मैं तो गुम हो चुकी
अब रहा जिया मेरा कहाँ
लगी ना छूटेगी प्यार में ज़ालिमा
जो बन पड़े कर ले बैरी जहाँ
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Lagi na chhootegi-Pardesi 1970
Wednesday, 22 June 2011
लगी ना छूटेगी-परदेसी १९७०
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