आज आपको एक नई फिल्म आस्था से गीत सुनवाते हैं। गीत काफी
पसंद किया गया और सराहा गया। अब ये अपने ऑडियो के लिए
सराहा गया या विडियो के लिए ये आप खुद ही पता लगाइए। गीत में
आपको दो कलाकार दिखाई देंगे-ओम पुरी और रेखा।
बासु भट्टाचार्य द्वारा निर्देशित फिल्मों के मामले में बॉक्स ऑफिस पर
ख़ामोशी और सन्नाटा पसरा रहता था। फिल्म तीसरी कसम ऐसा सन्नाटा
पसरा गई कि साहित्य जगत और फिल्म जगत से एक संवेदनशील
गीतकार कम हो गया। फिल्म बाद में चली ज़रूर मगर जिसे असली फायदा
मिलना चाहिए था वो फ़ायदा मिलने तक नश्वर संसार से कूच कर गया।
शायद बासु के भाग्य में लोकप्रियता का तत्त्व कमजोर था या गायब था।
धार्मिक परिवार में पैदा हुए बासु ने शायद ही धार्मिक विषयों को हाथ
लगाया अपने पूरे कैरियर में। उनकी अंतिम फिल्म धार्मिक से नाम
वाली थी थी-आस्था जो कहानी के लिए कम, ओम पुरी और रेखा की
अलग हट के जोड़ी और कुछ अंतरंग दृश्यों की वजह से ज्यादा पहचानी
गई। जिस वर्ष आस्था रिलीज़ हुयी उसी वर्ष बासु ६२ वर्ष की आयु में
दुनिया को अलविदा कह गये ।
गीत के बोल:
लबों से चूम लो
आँखों से थाम लो मुझको
लबों से चूम लो, आँखों से थाम लो मुझको
तुम्हीं से जन्मूं तो शायद मुझे पनाह मिले
गुलज़ार:दो सौंधे-सौंधे से जिस्म जिस वक़्त
एक मुट्ठी में सो रहे थे
बता तो उस वक़्त मैं कहाँ था
बता तो उस वक़्त तू कहाँ थी
मैं आरज़ू की तपिश में पिघल रही थी कहीं
तुम्हारे जिस्म से होकर निकाल रही थी कहीं
बड़े हसीं थे जो राह में गुनाह मिले
तुम्हीं से जन्मूं तो शायद मुझे पनाह मिले
गुलज़ार: तुम्हारी लौ को पकड़ के जलने की आरज़ू में
जब अपने ही आप से लिपट के सुलग रहा था
बता तो उस वक़्त मैं कहाँ था
बता तो उस वक़्त तू कहाँ थी
तुम्हारी आँखों के साहिल से दूर दूर कहीं
मैं ढूंढती थी मिले खुशबुओं का नूर कहीं
वहीँ रुकी हूँ जहाँ से तुम्हारी राह मिले
तुम्हीं से जन्मूं तो शायद मुझे पनाह मिले
...............................
Labom se choom lo-Aastha 1997
No comments:
Post a Comment