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Monday 22 July 2013

धक्कम धक्का हुआ-कामयाब १९८४

गीतों में विज्ञान के प्रयोग पर चर्चा हो जाए. एक शब्द है-बल .कोई भी कार्य
करने के समय इसकी याद अवश्य आती है. यहाँ तात्पर्य रस्सी में पड़े
बल से कतई नहीं है जी और न ही बल-प्रयोग से . व्हाट एन आईडिया सर जी

धक्का मुक्की करना-इसमें बल का प्रयोग होता है. इस गीत को सुन लीजिए
आपको भौतिकी के सिद्धांत याद आना शुरू हो जायेंगे.

फिल्म का नाम है कामयाब . ये जब रिलीज़ हुयी थी तब उस समय चूने पुते
पोस्टरों पर लिखा होता था-काम्याब, जिसे पढ़ कर सहज ही अनुमान हो जाता था
कि कामयाब होने के लिए पढाई लिखाई की ज़रूरत नहीं वरन माथे पर चमकते
सितारे होना आवश्यक है. जनाब इस फिल्म का निर्देशन काफी पढ़े लिखे निर्देशक
ने किया था जो नाम के आगे अपनी बी. ए. की डिग्री लगाते थे.

प्यार पक्का करने के लिए किसी मजबूत जोड़ वाले चिपकाऊ पदार्थ की ज़रूरत नहीं
धक्का मुक्की से भी ये पक्का हो सकता है.

क्या गीत है, वाह. ऑंखें हरी हो जाती हैं ऐसे गीत देख कर. दो चोटी वाली
नायिकाएं, नारियल के पेड़, हरे भरे खेत.

नायिका शायद संगीतकार से प्रेरित है. उसने भी गहनों का काफी वजन लाद रखा है.
उम्मीद है संगीतकार को आप पहचान ही गए होंगे. गायक गायिका हैं-आशा और किशोर.

मोटे चश्मे वाले कृपया अपना चश्मा लगा कर वीडियो देखने अन्यथा ऐसा महसूस होगा
कि सरसों से भरी और राई से भरी बोरियां उछल रही हों. 



गीत के बोल:

धक्कम धक्का हुआ
प्यार बड़ा पक्का हुआ
धक्कम धक्का हुआ
प्यार बड़ा पक्का हुआ
....................

Dhakkam dhakka hua-Kaamyab 1984

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