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Tuesday, 12 July 2011

नैनों से मद मदिरा पिला कर-घूंघट १९४६

आपको एक गीत पुराने युग से और सुनवाते हैं, ये है सन १९४६
की फिल्म घूंघट से। निर्मला देवी और मोहम्मद रफ़ी की आवाज़
वाला ये युगल गीत शायद रमेश गुप्ता नाम के गीतकार ने लिखा
है मगर एक बात तो तय है कि फिल्म में संगीत शंकर राव व्यास
का है।



गीत के बोल:

नैनों से मद मदिरा पिला कर
नैनों से मद मदिरा पिला कर
तुमने, हाय तुमने हमें मस्ताना किया
अपना बना कर तुमने हमें दुनिया से बेगाना किया
अपना बना कर तुमने हमें दुनिया से बेगाना किया

ये प्रेम है क्या जा कर पूछो कोई शाम के उस दीवाने से
कोई शाम के उस दीवाने से
जलना में मज़ा आता है क्या पूछो कोई परवाने से
जलना में मज़ा आता है क्या पूछो कोई परवाने से

हमने तो आदेश से उसके दिल अपना नजराना किया
हाँ, दिल अपना नजराना किया
अपना बना कर तुमने हमें दुनिया से बेगाना किया
अपना बना कर तुमने हमें दुनिया से बेगाना किया

दिल वाले
दिल वाले हर दम हँसते हँसते दिल का सौदा करते हैं
अंजाम की क्या परवाह उनको वो नहीं मौत से डरते हैं
अंजाम की क्या परवाह उनको वो नहीं मौत से डरते हैं

हमने भी किसी दिलवर के दिल से आज सुनो यादाना किया
हाँ आज सुनो यादाना किया
अपना बना कर तुमने हमें दुनिया से बेगाना किया
अपना बना कर तुमने हमें दुनिया से बेगाना किया

क्या आन नयी क्या शान नयी
क्या आन नयी क्या शान नयी
क्या अदा निराली बातों की
क्या अदा निराली बातों की
नस नस में बिजली दौड गयी
ये हरकत है इन हाथों की
नस नस में बिजली दौड गयी
ये हरकत है इन हाथों की
हम काँप रहे अब तक देखो
हम काँप रहे अब तक देखो
इतना हमको हैरान किया
इतना हमको हैरान किया

अपना बना कर तुमने, हाँ हाँ तुमने, न न तुमने
अपना बना कर तुमने हमें दुनिया से बेगाना किया
अपना बना कर तुमने हमें दुनिया से बेगाना किया
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Nainon se mad madira pila kar-Ghoonghat 1946

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