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Tuesday, 12 July 2011

ओ जानेवाले बालमवा-रतन १९४४

आपको तीन एकल गीत सुनवा दिए आज. एक आध युगल गीत भी हो जाए .
फिल्म रतन(१९४४) से तीसरा गीत प्रस्तुत है. श्याम कुमार और अमीरबाई
कर्नाटकी की आवाजों में ये बरसों से जनता को आनंदित करने वाला गीत
लिखा है दिन नाथ मधोक ने और इसकी धुन बनायीं है संगीतकार नौशाद ने.

विडियो के विवरण में लेखक दो बातें लिखता है-फिल्म रतन के संगीत ने
नौशाद को भौंचक करने वाली ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया . ये बात लगभग सटीक
है. दूसरी बात-रतन पहली फिल्म थी जिसमें ढोलक के लयबद्ध ठेकों का इस्तेमाल
हुआ था. इससे मैं सहमत नहीं हूँ. ढोलक का प्रयोग इसके पहले भी फिल्म संगीत
में खूब हुआ है. अमीरबाई सन १९४४ तक जाना पहचाना नाम हो चुकी थीं लेकिन
उनके इस गीत के सह-गायक श्याम कुमार एक अनजान सा नाम थे, आज भी हैं.
गीत उस समय के हिसाब से तेज गति वाला है.




गीत के बोल:

ओ जाने वाले बालमवा
लौट के आ, लौट के आ

जा मैं ना तेरा बालमवा
बेवफ़ा बेवफ़ा

आ, ओ जाने वाले बालमवा
लौट के आ, लौट के आ

जा मैं ना तेरा बालमवा
बेवफ़ा बेवफ़ा

तेरे बिन मेरा जिया
लागे ना कहीं भी पिया
हाय लागे ना
याद नहीं छोड़े तेरी
दुनिया अंधेरी मेरी
अब जाऊँ कहाँ
ओ दिल को ले करता है दर्द जिया
लौट के आ, लौट के आ
ओ दिल को ले करता है दर्द जिया
लौट के आ, लौट के आ

ओ जाने वाले बालमवा
लौट के आ लौट के आ

जा मैं ना तेरा बालमवा
बेवफ़ा बेवफ़ा

घड़ी-घड़ी पनघट पे आना
झूठ-मूठ की प्रीत जताना
मुझे याद है
फिर और किसी से आँख मिलाना
मुझसे आँख मिला कर जाना
मुझे याद है
झूठों से काहे बोलूँ जा री जा
बेवफ़ा बेवफ़ा
झूठों से काहे बोलूँ जा री जा
बेवफ़ा बेवफ़ा

आ, ओ जाने वाले बालमवा
लौट के आ, लौट के आ

जा मैं ना तेरा बालमवा
बेवफ़ा बेवफ़ा
..............................
O jaane wale balamwa laut ke aa-Ratan 1944

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